Kavita Jha

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नटखट जनहरण घनाक्षरी #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -16-Oct-2022


सृजन शब्द -नटखट
जनहरण घनाक्षरी 
(31 वर्ण, सभी लघु पदांत पर गुरु)

नटखट सुत सुन,सपन अगर बुन,
लगत बहुत धुन, अब तुम सुधरो।

डरत हृदय अब, तुम सुधरत कब,
हँसत जगत सब, कुछ कर गुजरो।

कठिन सफर यह, कदम सँभल बह,
मन सुन तब कह, प्रभु अब सुमिरो।

मत कर खटपट, वचन न अटपट,
चल अब झटपट, मत अब बिगरो।
***
कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता 

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7 Comments

Amar Singh Rai

17-Oct-2022 12:21 PM

बहुत सुंदर, बधाई आपको

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बेहतरीन प्रस्तुति।

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Ajay Tiwari

17-Oct-2022 08:20 AM

Very nice

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